Thursday, February 2, 2023

रिश्तों का भंवर...!!!

रिश्ता खून का हो या दिल का, जरूरी नहीं कि उसे हमारी जरूरत है। मगर जिस रिश्ते कि जरुरत हमें होती है हमेशा वही हमारा नहीं होता। जिन रिश्तों से जुड़ने कि चाह होती है वो कभी चाहकर भी जुड़ नहीं सकता। और ये जानकर दिल के जितने टुकड़े होते हैं वो समेटना भी शायद नामुमकिन होता है।
रिश्तों के भंवर में फंसा हुआ इन्सान जिंदगी से जुंझता रह जाता है। मगर उस भंवर से कभी निकल नहीं पाता।
जो रिश्ता उसके मुकाम तक पहुंच जाएं बड़ा खुशनसीब होता। वरना रिश्ता और मुकाम दोनों बदनसीब है।